मंसूब थे जो लोग मेरी
ज़िंदगी के साथ
अक्सर वही मिले हैं बड़ी बेरुखी के साथ
अक्सर वही मिले हैं बड़ी बेरुखी के साथ
यूं
तो में हंस पड़ा हूँ तुम्हारे लिए मगर
कितने सितारे टूट पड़े एक हंसी के साथ
कितने सितारे टूट पड़े एक हंसी के साथ
फ़ुर्सत मिले तो अपना
गिरेबां भी देख ले
ए दोस्त यूं ना खेल मेरी बेबसी के साथ
ए दोस्त यूं ना खेल मेरी बेबसी के साथ
मजबूरीयों की बात चली
है तो मए कहाँ
हम ने पिया है ज़हर भी अक्सर ख़ुशी के साथ
हम ने पिया है ज़हर भी अक्सर ख़ुशी के साथ
चेहरे
बदल बदल के मुझे मिल रहे हैं लोग
इतना बुरा सुलूक मेरी सादगी के साथ?
इतना बुरा सुलूक मेरी सादगी के साथ?
............मोहसिन नकवी